पार्किंसन रोग Parkinson’s

Parkinson’s treatment in homeopathy पार्किंसन

विगत कई वर्षो से डॉ प्रतीक चौहान  पार्किंसन रोग Parkinson’s Disease का 80% सफलता की दर से होमियोपेथी दवाओ से रोगियों का उपचार कर रहे हैं !

रोगी के सभी लक्षणो को ध्यान से समझ कर , बारीक लक्षणो को बारीकी से परख कर , मानसिक व सम्पूर्ण शरीर के लक्षणो की होमियोपेथी दवा के लक्षणो से मिला कर , दवा देते हैं !

जिससे रोगी के स्वस्थ होने की संभावना 100% होती है ! होमियोपेथी दवा का चयन रोगी के शरीर , मन व भावनात्मक लक्षणो पर किया जाता है !

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पार्किंसन रोग क्या है ?

पार्किंसन रोग तंत्रिका तंत्र का एक तेजी से फैलने वाला विकार है !जो आपकी गतिविधियों को प्रभावित करता है ! यह धीरे-धीरे विकसित होता है ! यह रोग कभी-कभी केवल एक हाथ में होने वाले कम्पन के साथ शुरू होता है ! लेकिन, जब कंपकपी पार्किंसन रोग का सबसे मुख्य संकेत बन जाती है तो यह विकार अकड़न या धीमी गतिविधियों का कारण भी बनता है !

पार्किंसन रोग के शुरुआती चरणों में, आपके चेहरे के हाव भाव कम या खत्म हो सकते हैं ! या चलते समय आपकी बाजुएं हिलना बंद कर सकती हैं !आपकी आवाज़ धीमी या अस्पष्ट हो सकती है। समय के साथ पार्किंसन बीमारी के बढ़ने के कारण लक्षण गंभीर हो जाते हैं !

पार्किंसन रोग के लक्षण – Parkinson’s Disease Symptoms 

Parkinson's treatment in homeopathy
Parkinson’s treatment

इस रोग के लक्षण और संकेत हर व्यक्ति में भिन्न हो सकते हैं। शुरुआती संकेत कम हो सकते हैं और आसानी से किसी का ध्यान अपनी तरफ आकर्षित नहीं करते हैं। इसके लक्षण अक्सर आपके शरीर के एक तरफ के हिस्से पर दिखने शुरू होते हैं और स्थिति बहुत खराब हो जाती है। इसके बाद पूरा शरीर लक्षणों से प्रभावित होने लगता है।

कंपन –

कंपकपाना या हिलना आमतौर पर आपके हाथ या उंगलियों से शुरू होता है !  इसके कारण आपका  अंगूठा और तर्जनी उंगली के एक-दूसरे से रगड़ने शुरू हो सकते हैं ! जिसे “पिल-रोलिंग ट्रेमर” (Pill-Rolling Tremor) कहते हैं ! पार्किंसन रोग का एक लक्षण है आराम की स्थिति में आपके हाथ में होने वाली कंपकपी है।

धीमी गतिविधि (ब्रैडीकीनेसिया) –

समय के साथ, यह बीमारी आपके हिलने-डुलने और काम करने की क्षमता को कम कर सकती है, जिसके कारण एक आसान कार्य को करने में भी कठिनाई होती है और समय अधिक लगता है। चलते समय आपकी गति धीमी हो सकती है या खड़े होने में कठिनाई हो सकती है। इसके अलावा आप पैरों को घसीट कर चलने की कोशिश करते हैं, जिससे चलना मुश्किल हो जाता है।

 

कठोर मांसपेशियां –

आपके शरीर के किसी भी हिस्से में मांसपेशियों में अकड़न हो सकती है। कठोर मांसपेशियां आपकी गति को सीमित कर सकती हैं और दर्द का कारण बन सकती हैं।बिगड़ी हुई मुद्रा और असंतुलन – पार्किंसन रोग के परिणामस्वरूप आपका शरीर झुक सकता है या असंतुलन की समस्या हो सकती है।

स्वचालित गतिविधियों की हानि –

 पार्किंसन बीमारी में, अचेतन (Unconscious) कार्य करने की क्षमता में कमी आ सकती है ! जिनमें पलकें झपकाना, मुस्कुराना या हाथों को हिलाते हुए चलना शामिल हैं ! बात करते समय आपके चेहरे पर ज़्यादा समय के लिए हाव भाव नहीं रह सकते !

आवाज़ में परिवर्तन –

पार्किंसन रोग के परिणामस्वरूप उच्चारण सम्बन्धी समस्याएं हो सकती हैं ! आपका स्वर धीमा, तीव्र और अस्पष्ट हो सकता है या आपको बात करने से पहले हिचकिचाहट हो सकती है ! सामान्य संक्रमण की तुलना में आपकी आवाज़ और ज़्यादा खराब हो जाती है! स्वर और भाषा के चिकित्सक आपकी उच्चारण समस्याओं का निवारण करने में मदद कर सकते हैं !

लिखावट में परिवर्तन – 

लिखावट छोटी हो सकती है और लिखने में तकलीफ हो सकती है।
दवाएं इनमें से कई लक्षणों को कम कर सकती हैं ! अधिक जानकारी के लिए नीचे दिया गया “उपचार” का खंड देखें !

यदि आप पार्किंसन रोग से जुड़ा कोई भी लक्षण देखते हैं ! तो अपने डॉक्टर से संपर्क करें !अपनी स्थिति का परीक्षण करने और लक्षणों के अन्य कारणों को दूर करने के लिए भी चिकित्सक से परामर्श करें !

पार्किंसन रोग के कारण: 

Parkinson's treatment
Parkinson’s treatment

पार्किंसन रोग में मस्तिष्क में उपस्थित कुछ तंत्रिका कोशिकाएं (न्यूरॉन्स) धीरे-धीरे खराब हो जाती हैं या नष्ट हो जाती हैं। न्यूरॉन्स हमारे मस्तिष्क में डोपामाइन नामक रसायन उत्पन्न  करते हैं। इन न्यूरॉन्स के नष्ट होने के कारण कई लक्षण उत्पन्न होते हैं। डोपामाइन के स्तर में आने वाली कमी असामान्य मस्तिष्क गतिविधि का कारण बनती है, जिसके परिणामस्वरूप पार्किंसंस रोग के संकेत मिलते हैं।

पार्किंसन रोग का परीक्षण – Diagnosis of Parkinson’s Disease

इस रोग के परीक्षण हेतु वर्तमान में कोई विशेष जाँच मौजूद नहीं है। तंत्रिका तंत्र की स्थितियों में प्रशिक्षित चिकित्सक (न्यूरोलॉजिस्ट) आपके मेडिकल इतिहास, आपके संकेतों और लक्षणों की समीक्षा और एक न्यूरोलॉजिकल तथा शारीरिक परीक्षण के आधार पर इस रोग का निदान करेंगे। इसके साथ ही साथ आपके चिकित्सक अन्य स्थितियों को दूर करने के लिए परीक्षण का सुझाव दे सकते हैं, जो आपके लक्षणों का कारण हो सकती हैं।

परीक्षण के अलावा, डॉक्टर आपको पार्किंसन रोग की दवा ‘कार्बिडोपा-लेवोडोपा’ (carbidopa-levodopa) दे सकते हैं। अगर इस दवा को लेने से महत्वपूर्ण सुधार होता है तो अक्सर इसे पार्किंसंस रोग की पुष्टि माना जाता है। दवा का असर देखने के लिए पर्याप्त खुराक दी जानी चाहिए, क्योंकि एक या दो दिन के लिए कम खुराक देना फायदेमंद नहीं होता है। उत्तम प्रतिक्रिया के लिए दवा को भोजन करने से कम से कम एक घंटे पहले खाली पेट लेना चाहिए। इस रोग का निदान करने में कभी-कभी लंबा समय लगता है। चिकित्सक समय-समय पर आपकी स्थिति और लक्षणों का मूल्यांकन करने और इस रोग का निदान करने के लिए आपको प्रशिक्षित न्यूरोलॉजिस्ट से नियमित जांच कराने का सुझाव दे सकते हैं।

पार्किंसन रोग का उपचार – Parkinson’s treatment in homeopathy

विगत कई वर्षो से डॉ प्रतीक चौहान  पार्किंसन रोग Parkinson’s Disease का 80% सफलता की दर से होमियोपेथी दवाओ से रोगियों का उपचार कर रहे हैं !

विगत कई वर्षो से डॉ प्रतीक चौहान  सोरयसिस psoriasis का 80% सफलता की दर से होमियोपेथी दवाओ से रोगियों का उपचार कर रहे हैं  !

रोगी के सभी लक्षणो को ध्यान से समझ कर , बारीक लक्षणो को बारीकी से परख कर , मानसिक व सम्पूर्ण शरीर के लक्षणो की होमियोपेथी दवा के लक्षणो से मिला कर , दवा देते हैं !

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